नवरोहण: एक पारंपरिक त्योहार की सरल समझ
हमारे देश में त्योहारों की भरमार है, लेकिन कुछ त्योहार ऐसे होते हैं जो अपनी खासियत और परंपरा के लिए जाने जाते हैं। ऐसे ही एक त्योहार का नाम है “नवरोहण“। यह त्योहार खासतौर पर मध्यमवर्गीय और ग्रामीण परिवारों के लिए महत्वपूर्ण होता है।
नवरोहण क्या है?
नवरोहण एक प्राचीन और आदिवासी त्योहार है जो मुख्यतः छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह त्योहार नई फसल के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। जब खेतों में फसल तैयार हो जाती है और नई फसल को काटा जाता है, तो लोग नवरोहण मनाते हैं।
नवरोहण का महत्व
इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य फसल की सुरक्षा और नई फसल के लिए भगवान का धन्यवाद करना होता है। आदिवासी समुदाय इस दिन को अपनी मुट्ठी भर खुशियों के रूप में मानते हैं।
अब सोचिए, अगर फसल तैयार न हो तो क्या होता? खैर, शायद यही वजह है कि लोग इस दिन को इतना खास मानते हैं। फसल की तरह, इस त्योहार का भी अपना मजा होता है, जो हमें कहीं और नहीं मिलेगा।
नवरोहण की तैयारियां
नवरोहण की तैयारियों में गांववाले रंग–बिरंगे कपड़े पहनते हैं, घरों को सजाते हैं और खाने–पीने की चीजों की भरपूर व्यवस्था करते हैं। खासतौर पर इस दिन खीर, पूड़ी, और सब्जी बनाई जाती है।
मज़ेदार बात यह है कि इस दिन गांववाले पारंपरिक नृत्य और गीत गाते हैं, जो देखने लायक होते हैं। आप सोच सकते हैं, गांव का हर आदमी डांस फ्लोर पर होता है, लेकिन नाचने के लिए उनकी ओर से सिर्फ हड्डियाँ और मेहनत होती हैं।
नवरोहण के उत्सव का आनंद
इस त्योहार का आनंद लेने के लिए गांव की गलियों में गूंजते गाने और नृत्य होते हैं। बच्चे और बड़े मिलकर धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं।
सच्चाई यह है कि नवरोहण सिर्फ फसल की खुशहाली के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और आनंद के लिए भी महत्वपूर्ण है।
अंत में
नवरोहण एक ऐसा त्योहार है जो हमें सच्ची खुशियाँ और मिल–जुलकर रहने का संदेश देता है। अगर आप कभी छत्तीसगढ़ या मध्य प्रदेश जाएं, तो इस अद्भुत त्योहार का अनुभव करना न भूलें। आप देखेंगे कि हर गांव में फसल की मिठास और लोगों की खुशी का एक अद्भुत मिलाजुला स्वरूप देखने को मिलेगा।
इसलिए, अगली बार जब आप किसी गांव में हों, और नवरोहण का मौका मिले, तो बिना संकोच के उन्हें जोड़ीदार मानकर इस त्योहार में शामिल हो जाइए। विश्वास कीजिए, खुशियाँ और मज़ा दोनों आपके कदम चूमेंगे!